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नीट यूजी रिजल्ट को लेकर विवाद के बीच एनटीए की टाई-ब्रेकिंग पॉलिसी भी सवालों के घेरे में आ गई है। परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों ने इस पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने रिजल्ट के समय टाई-ब्रेकिंग पॉलिसी में एक नया नियम जोड़ा, जिसके बारे में अभ्यर्थियों को बाद में पता चला। इस नियम का जिक्र नीट यूजी सूचना बुलेटिन में नहीं किया गया, जिससे अभ्यर्थियों में नाराजगी है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 4 जून को नीट यूजी रिजल्ट घोषित किया। परीक्षा में 67 अभ्यर्थियों ने परफेक्ट 100 पर्सेंटाइल हासिल किए। इसके अलावा, एक ही परीक्षा केंद्र के छह अभ्यर्थियों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए। इसके चलते अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों ने एनटीए पर रिजल्ट में अनियमितता का आरोप लगाया है।

क्या है विवादित नियम?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने रिजल्ट के समय टाई-ब्रेकिंग पॉलिसी में एक नया नियम जोड़ा। इस नए नियम में कहा गया है कि काउंसलिंग के दौरान उन अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने परीक्षा के लिए पहले आवेदन किया था। इसका मतलब है कि पहले रजिस्ट्रेशन कराने वालों को एडमिशन के दौरान फायदा मिलेगा। अभ्यर्थियों का तर्क है कि सूचना बुलेटिन में यह जानकारी नहीं दी गई थी, अगर उन्हें पहले पता होता तो वे जल्दी पंजीकरण करवा लेते।

नोटिफिकेशन में क्या कहा गया?

नीट यूजी नोटिफिकेशन के अनुसार, अगर दो अभ्यर्थियों के स्कोर समान हैं, तो उनके बायोलॉजी स्कोर को पहले माना जाएगा; बायोलॉजी स्कोर अधिक होने पर अभ्यर्थी को उच्च रैंक दी जाएगी। अगर बराबरी बनी रहती है, तो केमिस्ट्री और फिजिक्स के स्कोर की तुलना की जाएगी। कई अन्य नियम भी बताए गए थे। हालांकि, एनटीए ने अब आवेदन संख्या से जुड़ा एक नया नियम जोड़ा है, जिसने मौजूदा विवाद को जन्म दिया है।

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