कोरोना की वजह से विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक बार से जरूरी करार देते हुए इसे छात्रों के व्यापक हित में बताया है। ऐसे में राज्य परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला लेने से पहले छात्रों के हितों और शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आंकलन करें। वहीं परीक्षाओं को लेकर जारी गाइडलाइन पर यूजीसी कहना है कि आयोग के रेगुलेशन के तहत सभी विश्वविद्यालय उसे मानने के लिए बाध्य है। हालांकि यह विवाद का समय नहीं है। सभी विवि को तय गाइडलाइन के तहत परीक्षाएं करानी चाहिए।

आयोग के सचिव रजनीश जैन ने कहा कि उन्होंने सभी राज्यों को परीक्षाओं को लेकर जारी गाइडलाइन और उसे कराने के लिए तय किए गए मानकों का ब्यौरा भेज दिया है। फिर भी यदि विश्वविद्यालयों को किसी भी मुद्दे को लेकर कोई भ्रम है, तो वह संपर्क कर सकते है।

उन्होंने कहा कि जहां तक बात परीक्षाओं की है तो कोरोना संकट के चलते वह पहले से इसे लेकर विश्वविद्यालयों को काफी सहूलियतें दे चुके हैं। इसमें वह ऑनलाइन और ऑफलाइन किसी भी तरीके से करा सकते हैं। जिसमें वह ओपन बुक एक्जाम, एमसीक्यू (मल्टीपल च्वायस क्यूश्चन) जैसे परीक्षा के तरीके भी अपना सकते है।


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